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मैं बहुत नकचढ़ी हूं : रक्षंदा खान

प्रदीप सरदाना सीरियल ‘जस्सी जैसी कोई नहीं’ और ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ जैसे सीरियल से लोकप्रियता पाने वाली रक्षंदा खान एक बार फिर टीवी पर अपने नए अवतार में लौट रही हैं। सब टीवी के सोमवार से शुक्रवार शाम साढ़े 7 बजे के  समय में शुरू हुए सीरियल ‘अम्मा जी की गली’ में […]
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प्रदीप सरदाना

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सीरियल ‘जस्सी जैसी कोई नहीं’ और ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ जैसे सीरियल से लोकप्रियता पाने वाली रक्षंदा खान एक बार फिर टीवी पर अपने नए अवतार में लौट रही हैं। सब टीवी के सोमवार से शुक्रवार शाम साढ़े 7 बजे के  समय में शुरू हुए सीरियल ‘अम्मा जी की गली’ में वह परमिंदर के ऐसे रूप में हैं जिसमें वह पहले कभी दिखाई नहीं दी। हाल ही में रक्षंदा खान से मुलाकात हुई तो उनसे बहुत-सी बातें हुईं।

आप पिछले लगभग दो साल से किसी सीरियल में दिखाई नहीं दीं। इस बीच आपको कोई सीरियल मिला नहीं या कोई और कारण था?
सीरियल के ऑफर तो मिलते रहे लेकिन मैं बहुत नकचढ़ी लड़की हूं। मुझे एकदम कोई ऑफर पसन्द नहीं आता। इस दौरान जो भी सीरियल के ऑफर आए मुझे पसन्द नहीं आए। लेकिन जैसे ही मुझे ‘अम्मा जी की गली’ के लिए ऑफर आया तो मुझे लगा कि ये कुछ है जिसमें दम है।

आप पहली बार किसी सीरियल में कॉमेडी रोल कर रही हैं। जब आपको इसके लिए कहा गया तो आप चौंकी नहीं कि मुझे कॉमेडी का ऑफर आया है?
बिल्कुल, मैं पहली बार काफी हैरान रह गई कि मुझे इस रोल के लिए क्यों कहा जा रहा है। लेकिन जब मैंने ये रोल किया तो मुझेे लगा यदि यह रोल मुझे न मिलता तो बहुत गलत हो जाता। राइटर डायरेक्टर ने इस रोल के लिए मुझे चुनकर बहुत अच्छा किया।

यह ठीक है कि आप कॉमेडी सीरियल पहली बार कर रही हैं पर इस रोल में ऐसा क्या है जो आप इसे लेकर इतनी खुश हैं?
दरअसल, यह एक टिपीकल पंजाबी लेडी का किरदार है। हालांकि मैने ‘क्योंकि…’ और ‘जस्सी’ दोनों में पंजाबी लड़की का रोल किया था। एक में तान्या मल्होत्रा और दूसरे में मल्लिका सेठ। लेकिन ‘अम्मा जी की गली’ में मेरा परमिन्दर कौर के रोल में जो गेटअप है, जो पंजाबी टच है वह बिल्कुल अलग है। फिर इस सीरियल की दिव्यनिधि ने जो स्क्रिप्ट लिखी है वह इतनी पॉवरफुल है कि अब जाकर पता लगा है कि कॉमेडी क्या होती है।

सीरियल में जिस तरह की गली दिखाई है क्या आप खुद कभी इस तरह की गली, इस तरह के माहौल में रही हैं?
मैं कभी गली में रही ही नहीं। हां, बचपन में हम ज्वाइंट फेमिली में रहते थे, हमारे तीन चाचा थे, सभी के बच्चे मिलाकर इतने बच्चे हो जाते थे कि हमारी अपनी ही एक गली हो जाती थी। तब से यह अनुभव है कि सभी के विचार एक से न होने पर भी हम साथ मिलकर रहते थे।

सीरियल में आपका परमिंदर कौर का जो रोल है, आप अपनी असली जिन्दगी में परमिंदर से कितना मेल खाती हैं?
सच कहूं तो मैं परमिन्दर जैसी बिल्कुल नहीं हूं, वह समझदार है, बहुत सफाई पसन्द है। पर आप मेरा कमरा देखें तो आपको शायद ही कभी साफ मिले, वह ज्यादातर गंदा ही रहता है। फिर मैं परमिन्दर की तरह समझदार भी नहीं हूं। (यह कहकर जोर से खिलखिला पड़ती हैं रक्षंदा।)

आप मुम्बई में पली-बढ़ी ऐसी लड़की रही हैं जो मॉडलिंग से मॉडर्न लाइफ जीने के लिए जानी जाती हैं। एक टिपीकल पंजाबी महिला का रोल करने में आपको कोई खास मेहनत करनी पड़ी?
मेहनत तो काफी की है। यह ठीक है कि आईएमए सिटी गर्ल, मैं सैंट जेवियर्स कॉलेज में पढ़ी हूं, वह भी इंग्लिश लिटरेचर में। पर मेरी इंग्लिश के साथ हिन्दी में भी ज़बान पूरी तरह साफ है जो मेरे लिए हमेशा एडवांटेज रही है। लेकिन यहां वह साफ जबान मेरे लिए डिस्एडवांटेज बन गई क्योंकि वह परमिन्दर की पंजाबी जबान अपने अलग अंदाज की है। मेरे कहने का मतलब यह है कि आप रियल लाइफ में क्या हैं, कैसी हैं, सैट पर जाते समय यह सब पीछे छोड़कर जाना पड़ता है और सिर्फ रोल के रंग में रंगना होता है।

इस सीरियल में आपके साथ फरीदा जलाल भी हैं, उनके साथ आपके कैसे अनुभव रहे?
फरीदा जी के साथ काम करके लगा जैसे मानो फिर स्कूल में पहुंच गए थे। वह इतनी सीनियर एक्टर हैं कि उनके साथ काफी कुछ सीखने को मिलता है। यदि कुछ अच्छा करते हैं तो वह बता देती हैं यह अच्छा था।

आप टीवी तो काफी समय से कर रही हैं अब फिल्मों में जाने के लिए नहीं सोचती?
सोचती क्या मैं फिल्में देखने जाती हूं। जब भी समय मिलता है फिल्में देख डालती हूं, यह कहकर जोर से हंसने लगती है रक्षंदा फिर कहती हैं फिल्मोंं का आकर्षण सभी को रहता है ज्यादातर लोग फिल्मों मे ंजाने के बारे में सोचते हैं। पर यदि सभी लोग फिल्मों में काम करने लगे तो फिल्में देखेगा कौन? इसलिए मैं तो टीवी में ही खुश हूं।

शिकायत है कि समझौते न करें तो काम नहीं मिलता या रोल छोटा कर दिया जाता है, पैसे अटक जाते हैं, आपका इस बारे में क्या कहना है?
मैं जब मॉडलिंग शुरू करने वाली थी तो मुझे लोगों ने कहा—यार मॉडलिंग ठीक नहीं है यहां बहुत तरह की समस्या आती हैं। मैं टीवी सीरियल करने लगी तो कहा—यार कहां फंस रही है, इंडस्ट्री अच्छी जगह नहीं है, लोग बुरी नजर से देखते हैं। पर मैं आपको बताऊं, मेरे अनुभव सभी जगह अच्छे रहे। मेरे साथ कहीं कोई दिक्कत नहीं आई।

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